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घर ही नही ऑफिस का वास्तुदोष भी दूर करते हैं गणपति
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Nov 28, 2016
in
Astrology
by
soni_qadmin
घर हो या आपका कार्यस्थल गणेश जी वहां के समस्त वास्तुदोषों को समाप्त कर आपका जीवन खुशियों से भर देते हैं। महाराष्टï्र में ही इस पर्व की धूम नजर आती थी लेकिन पिछले कुछ वर्षो से दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में भी गणेश चतुर्थी जोरशोर से मनायी जाने लगी है। न केवल गणेश चतुर्थी के अवसर पर बल्कि ऐसे भी लोग बड़े श्रद्धाभाव से गणेश जी की मूर्ति घरों में रखते हैं, कहा जाता है कि गणेश अपने आप में ही संपूर्ण वास्तु हैं। अगर इनकी स्थापना सही ढंग से की जायें तो ये घर हो या आपका कार्यस्थल ये वहां के समस्त वास्तुदोषों को समाप्त कर आपका जीवन खुशियों से भर देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनकी स्थापना से पहले किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।
गणेश जी की प्रतिमा खरीदते समय ध्यान रखें कि उनकी सूंड बाएं हाथ की तरफ घूमी हुई हो।
कार्यस्थल के लिये खड़े हुए गणेश जी की मूर्ति का चुनाव करें। इससे काम करने में मन लगता है और शरीर में स्फूर्ति आती है।
गणेश जी को मोदक और अपना वाहन मूषक बहुत पसंद है इसलिये गणेश जी की मूर्ति या कोई भी चित्र खरीदते समय हमेशा ध्यान रखें कि उसमें मोदक ओर मूषक अवश्य हो।
गणेश जी की स्थापना सदैव ब्रहम स्थान के केंद्र में करें।
यदि घर के मुख्य द्वार पर गणेश की प्रतिमा या चित्र लगाया गया हो तो उसके दूसरी तरफ ठीक उसी जगह पर दोनों गणेशजी की पीठ मिली रहे इस प्रकार से दूसरी प्रतिमा या चित्र लगाने से वास्तु दोषों का शमन होता है।
अगर आप चाहते हैं कि आपके घर में हमेशा सुख, शांति और समृद्धि बने रहे तो सफेद रंग के गणेश जी की मूर्ति लायें, साथ ही इनका कोई चित्र भी घर में अवश्य लगायें।
सर्वमंगल की कामना करने वालों के लिए सिंदूरी रंग के गणपति की आराधना करनी चाहिये।
घर में पूजा के लिए बैठे हुए या आराम करने वाली मुद्रा वाले गणेश अधिक शुभ होते हैं। अगर कला या अन्य शिक्षा के प्रयोजन से पूजन करना हो तो नृत्य गणेश की स्थापना करें।
यदि भवन में दरवाजे से जुड़ा किसी भी तरह का वास्तुदोष हो तो ऐसे में घर के मुख्य द्वार पर गणेश जी की बैठी हुई प्रतिमा लगानी चाहिए लेकिन उसका आकार 11 अंगुल से अधिक नहीं होना चाहिए।
स्वस्तिक को गणेश जी का रूप माना जाता है। भवन के जिस भाग में वास्तु दोष हो उस स्थान पर घी मिश्रित सिन्दूर से स्वस्तिक दीवार पर बनाने से वास्तु दोष का प्रभाव कम होता है।
स्वास्तिक वास्तु दोष दूर करने का महामंत्र है। यह ग्रह शान्ति में लाभदायक है। इसलिए घर में किसी भी तरह का वास्तुदोष होने पर अष्टधातु से बना पिरामिड यंत्र पूर्व की तरफ वाली दीवार पर लगाना चाहिए।
पूजा के लिए गणेश जी की एक ही प्रतिमा हो। गणेश प्रतिमा के पास अन्य कोई गणेश प्रतिमा नहीं रखें। एक साथ दो गणेश जी रखने पर रिद्धि और सिद्धि नाराज हो जाती हैं।
गणेश को रोजाना दूर्वा दल अर्पित करने से इष्टलाभ की प्राप्ति होती है और घर में समृद्धि का वास होता है।
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